भारत में महिलाओं की शिक्षा
एवं उत्थान को लेकर हमेसा सार्वजनिक चर्चा और विवाद रहा है।
सभी लोगों में भारत में
महिलों की शिक्षा को लेकर क्रेडिट लेने की होड़ मची रही है .कोई कहता है बाबा साहेब
आंबेडकर ने महिलाओं को शिक्षा का अधिकार दिलाया .कोई कहता सबित्रिबाई फुले ने, पहली बात तो या बात निर्विवाद असत्य है .
भारत में महिलाओं को
शिक्षा का अधिकार ,
जबकि भारत में महिलाओं को शिक्षा का अधिकार पहले से था .महिलाओं पर परिवार एवं समाज की इतनी जिम्मेदार थोप दी जाती थी इसलिए सभी महिलायें नहीं पढ़ पाती थी ,कुछ सामजिक कुरुतियाँ भी थी,
बड़े घर की महिलाएं पढ़ लेती थी लेकिन निम्न वर्ग की
नहीं . अब सोचो हमारे संबिधान सभा में 15( दुर्गाबाई देशमुख, राजकुमारी अमृत कौर, हंसा मेहता, बेगम ऐजाज रसूल, अम्मू स्वामीनाथन, सुचेता कृपलानी, दकश्यानी वेलयुद्धन, रेनुका रे, पुर्निमा बनर्जी, एनी मसकैरिनी, कमला चौधरी, लीला रॉय, मालती चौधरी, सरोजिनी नायडू व विजयलक्ष्मी पंडित)महिलायें कैसे थी?
साबित्रीबाई
फुले नहीं है प्रथम महिला स्कूल संस्थापक।
उपर्युक्त
सभी महिलाएं पढ़ी-लिखी थी. लकिन यहां प्रश्नचिन्ह यह है कि भारत में महिलाओं के लिए प्रथम मॉडर्न स्कूल कौन खोला था ? कुछ तबका
सावित्री बाई फुले को बोलता है कि उन्होंने
सर्वप्रथम 1848 में बालिकाओं के लिए महारास्ट्र के भिड़े
वाडा में स्कूल खोला था ,इसमें
से एक द् शुद्र नाम का मीडिया प्लातेफ़ोर्म के ट्विटर हैंडल का पोस्ट है ,
जबकि
यह गलत जानकारी है बालिकाओं
के लिए सर्वप्रथम मॉडर्न स्कूल 1847 में कलकत्ता के बारासात दक्षिण पारा चंडी
मंडप में शुरू किया गया था। श्री नबिनकृष्ण मित्र (कालीकृष्ण मित्र के भाई) की
बेटी कुंतीबाला इस स्कूल की पहली छात्रा थीं।
बालिकाओं के लिए प्रथम
स्कूल,
यह संस्था जो केवल तीन
लड़कियों के साथ शुरू हुई थी, धीरे-धीरे बारासात और पश्चिम बंगाल में भी लड़कियों के लिए अग्रणी
शैक्षणिक संस्थानों में से एक में विकसित हुआ।
कालीकृष्ण मित्र में खोला
प्रथम महिला स्कूल ,
समकालीन रूढ़िवादी समाज में अंधविश्वास, जिनकी शिक्षित लड़कियों के शिक्षा के प्रति निम्न प्रवृत्ति विद्यासागर की सदा उत्साही भावना को रोक नहीं पाई।
समाज की लड़कियों को शिक्षित और प्रबुद्ध करने
के उनके दृढ़ संकल्प ने कालीकृष्ण मित्रा को एक सामाजिक सुधार के लिए प्रेरित किया, जिसके परिणामस्वरूप बारासात कालीकृष्ण गर्ल्स स्कूल की नींव पड़ी थी,
देश में पहली महिला
स्कूल की शुरुआत की,
विद्यासागर और कालीकृष्ण
मित्रा द्वारा खोला गया स्कूल बाद में बारासात कालीकृष्ण गर्ल्स हाई स्कूल के रूप
में विकसित हुआ है। वर्तमान समय में, बारासात कालीकृष्ण गर्ल्स हाई स्कूल पश्चिम
बंगाल में एक प्रमुख नाम बन गया है। इसने कई पहलुओं में अपने बुनियादी ढांचे को
विकसित किया है। स्कूल में पाँच प्रयोगशालाएँ, एक अच्छा
पुस्तकालय और एक कंप्यूटर लैब है। स्कूल ने सोलर पैनल भी लगाया है।
इस स्कूल के छात्राए न केवल शिक्षा में
उत्कृष्ट प्रदर्शन करती हैं, बल्कि सांस्कृतिक और खेल गतिविधियों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं।
कई को सरकार की ओर से कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है इस स्कूल का उल्लेख Rao, Shruthi जी ने अपनी पुस्तक 10 Indian Women Who Ware the First to Do What
They did इस स्कूल का उल्लेख करते
हुए लिखा है.
1849 में बालिकाओं के लिए बेथुन क्लोजियेत स्कूल खोला गया और 1879 में यह स्कूल कोलेज बन गया .इसकी स्थापना भी कोलकाता
के बिधान सारणी में खोला गया इस की स्थापना 1849
में जॉन इलियट ड्रिंकवाटर बेथ्यून द्वारा कलकत्ता महिला स्कूल के रूप में की गई थी
शुरुआत में इस अचूल में २१ लड़कियां पढ़ती थी . 1847 एवं 1849 में सर्व प्रथम दो स्कूल
जो वर्त्मन में भी उपलब्ध है इससे पूर्व में अन्य स्कूल के पुराने या नये
स्ट्रक्चर का हमें अभी कोई रिफरेन्स नहीं मिला है ,
प्रथम
बालिका स्कूल 1847 - कालीकृष्ण मित्र
दूसरा
बालिका स्कूल 1849- जॉन इलियट ड्रिंकवाटर बेथ्यून
अन्य
स्कूल की तिथियाँ जो इससे पूर्व या बाद में स्थापित हुए .उनसे जुड़े तथ्य मिलते ही
जानकारी जोड़ी जाएगी ..
अधिक
जानकारी के लिए दोनों स्कूलों की ऑफिसियल वेबसाइट को जरूर विजिट करें.