बौद्ध कोई धर्म अर्थात धम्म नही! बौद्ध धर्म बुद्ध के अनुवाई ब्राह्मण शिष्यों द्वारा बनाया गया पंथ?Buddhism is not a religion ie Dhamma! Buddhism sect formed by Brahmin disciples who followed Buddha?

बौद्ध धर्म या ब्राह्मण धर्म यह प्रबुद्धवादी विद्धवान लोगों के बीच में विवाद का विषय है,लेकिन आप लोगों को यह पढ़ कर और सुन कर आश्चर्य हो सकता है , 


किन्तु जब हम बौद्ध दर्शन के विभिन्न आयामो पर अध्ययन करेगे और उसकी उतपत्ति तथा उसके विस्तार का अवलोकन करेगे तो आप भी इस बात से इंकार नही कर पायेंगे की जिस बौद्ध धर्म की बात हम करते है या सुनते है , उसके संस्थापक बुद्ध नही बल्कि उनके ब्राह्मण शिष्य है। भगवान बुद्ध ने कही यह जिक्र नही किया है कि मैं पूर्वर्ती धर्म त्याग रहा हूं और नए धर्म का निर्माण कर रहा हूं , 
धरम तो एक ही है. उसका नाम सनातन धर्म  है ,
उन्होंने अपना धर्म स्पष्ट करते हुवे कई बार यह दर्शाया है कि मैं सनातन धर्म का हूं या मैं जिस धर्म की बात कर रहा हूं वह सनातन धर्म ही है।               
 यह तक पाली के ग्रंथ धम्मपद में एक बुद्ध का एक सुत है "एसो धम्मो सनातनो"

गौतम बुद्ध को बौद्ध धर्म का संस्थापक कहना और मानना उनके साथ अन्याय करने जैसा ही है  ।
भगवान बुद्ध एक सुधारवादी दृष्ष्टिकोण लेकर चले थे, 
उनका पूरा जीवन तत्कालिक सामाजिक विकृति के सुधर पर केंद्रित रहा ,न की किसी नये धर्म का निर्माण कर समाज को पृथक करने का था  । बुद्ध जोड़ने आये थे फिर कोई अलग धर्म बना कर समाज को तोड़ने और कमजोर करने का कार्य बुद्ध कैसे कर सकते थे?

कैसे आया बौद्ध धर्म अस्तित्व में  ??

यह आज के लिए शोध का विषय हो सकता है कि कैसे आया बौद्ध धर्म अस्तित्व में । वस्तुतः इस बात का कही प्रमाण नही मिलता जो यह साबित कर सके की बौद्ध नाम का कोई धर्म बुद्ध ने बनाया था । या इस बात का कही उल्लेख नही मिलता की बुद्ध ने अपना पुराना धर्म कब त्यागा?
 अतः यह मानना की बौद्ध धर्म के संस्थापक बुद्ध है यह अनुमान तक ही सीमित है. 

धर्म क्या है उसकी परिभाषा क्या है ?

वस्तुतः किसी भी पथ को धर्म कहने से पहले धर्म की अवधारणा पर विचार करना अत्यंत जरुरी है , धर्म मानना न मानना यह हम पर और आप पर निर्भर करता है ,
किन्तु धर्म निर्माण मनुष्यो द्वारा हो यह कोरी कल्पना  है,
धर्म का वास्तविक अर्थ जो धारण किया जायें या जो धारण करने योग्य वो वह धर्म है।  फिर मनुष्य तो जन्म से ही धर्म को धारण किये हुवे है , 
एक मनुष्य के अंदर मनुष्योचित कर्म जन्म से ही उसकी धारणा में है, मनुष्य को मनुष्य होने के लिए मानवीय मूल्यों पर चलना होता है  जो प्रकृति पद्दत है। प्रकृति हर प्राणी का धर्म स्वंय निर्धारित करती है.
मनुष्य के अंदर मानवीय गुण तो जानवरों के अंदर उनकी जाती के आधार पर उनसे संबंधित गुण, यह जीवन के साथ जो हमारे कर्म कार्यो से बाह्य सस्कृति में अपनी विशेष क्षवी बनती  है यही तो धर्म है , यही तो हम प्रकृति के साथ धारण कर के आये है। 

क्या मनुस्य धर्म बना सकता है ?

आप खुद सोचना चाहिए कि एक मनुष्य मनुष्यो के लिये पथ या मार्ग बना सकता है ,लेकिन धर्म नही , धर्म तो सास्वत है, अनवरत है, और एक रूप है , उसे स्वयं प्रकृति निर्धारित करती है , 
यही कारण है वह सनातन है सास्वत है सत्य है  , यह गौतम बुद्ध भी जानते थे।

अत यह कहना की धर्म बुद्ध ने बनाया यह उनके प्रकृति प्रेमी और मानवीय मूल्यों के संदर्भ में उनके दिए संदेशों पर विवाद खड़ा कर सकता है। 

तो अब विचार करते है कि फिर बौद्ध धर्म कब अस्तित्व में आया?

बौद्ध धर्म कौन बनाया ?

सिद्धार्थ बुद्ध के परिनिर्वाण के 150 वर्षों बाद उनके ब्राह्मण अनुवाइयो ने बुद्ध के संदेशों को धर्म के रूप में परिभाषित कर एक अलग धर्म और व्यवस्था की नींव डालने का प्रयास किया "यह उसी कड़ी के ब्राह्मण थे जिनको सर्व प्रथम बुद्ध ने उपदेश दिया था ,

क्या ब्राह्मण कृत बौद्ध धर्म है  ? बौद्ध धर्म  ही वास्तविक ब्राह्मण धर्म  है ?

आधुनिक बौद्ध धर्म असली ब्राह्मण धर्म इस लिए भी है ,कयोंकि  इसमें सबसे अधिक किसी बात की चर्चा है तो , वह है ब्राह्मण की । 

ब्राह्मण क्या ? और कैसे है आदि  पर ही पूरा बौद्ध धर्म  टिका है ? गंभीरता से अध्ययन करे तो सभी  बौद्ध साहित्य ब्राह्मण ग्रथ है।
डॉक्टर आंबेडकर की २२ प्रतिज्ञा ?

वर्तमान में नविन २२ प्रतिज्ञा वाले बौद्ध जो बिनाबुद्ध को जाने ही बुद्ध नाम का सर्टिफिकेट धारण किये है अगर इनकी दलील सुने तो विल्कुल अलग नजारा है उनका ।यह लोग हर सभा मीटिंग में चीख-चीख कर कहते है कि बौद्ध धर्म ब्राह्मण विरोधी धर्म है और ब्राह्मणों के खिलाफ बुद्ध ने बौद्ध धर्म बनाया था। यह बिलकुल ही बचकानी और मिथ्या वाली बात है, जो वास्तविकता से मेल नही खाती है ,
क्योंकि बौद्ध ग्रन्थो का अध्ययन करे तो ब्राह्मण क्या है, और कैसा हो यही सबसे प्रमुख विषय है उसका । और अगर मान लिया जाये की बुद्ध का धर्म ब्राह्मणों के खिलाफ था तो इस धर्म को हवा पानी किसने दिया , इस धर्म के बारे में हम आज जितना भी जान पा रहे है उस जानकारी का स्रोत कहाँ से प्राप्त हुवा?
 बौद्ध ग्रथों की रचना किसने की जिससे हम बुद्ध को जान पाये और समझ पाये?

सवाल तो यह भी बनता है कि इस बौद्ध धर्म के संवर्धक कौन थे?

आप अध्ययन करे तो पायेंगे की गौतम बुद्ध  के प्रथम 5 शिष्य में 4 ब्राह्मण थे , 
बुद्ध के 5 शिष्य ब्राह्मण थे?
बुद्ध के प्रिय शिष्य अग्निहोत्र ब्राह्मण , प्रथम एवं द्वितीय तथा तृतीय बौद्ध संगतियों के आयोजक ब्राह्मण , बौद्ध विहारों के लिए सर्वाधिक भूमि दान करने वाले ब्राह्मण , बुद्ध से पूर्व 27 बौद्धों में 7 ब्राह्मण,  सभी बौद्ध साहित्यों के रचनाकार ब्राह्मण , बौद्ध धम्म के सभी सम्प्रदायो यथा महायान हीनयान और बजरायन के सूत्रधार भी ब्राह्मण ,, 
तो क्या समझे आधुनिक बौद्ध धर्म की नींव ही टिकी है ब्राह्मण पर..
अगर इस धर्म से ब्राह्मणों के योगदान को निकाल दे , तो बौद्ध धर्म में कुछ भी नही बचेगा क्योंकि  यह धर्म ही ब्राह्मणों का बनाया हुवा है। 
यहाँ देखिये।। 
कुछ बौद्ध जो ब्राह्मण परिवारों में पैदा हुए.
ब्राह्मण परिवारों में कई उल्लेखनीय बौद्ध पैदा हुए हैं। सारिपुत्र और मौद्गल्यायन जैसे कुछ बुद्ध के शिष्य थे, जबकि बौद्ध धर्म जैसे कुछ मिशनरी भारत से बाहर बौद्ध धर्म का प्रसार कर रहे थे। अश्वघोष जैसे अन्य कवि थे; चंद्रगोमिन जैसे अन्य व्याकरणविद थे। आध्यात्मिकता की दृष्टि से श्रमण और ब्राह्मण दोनों (चाहे श्रमण हों या न हों) महत्वपूर्ण हैं।
बौद्ध पंथों एवं दर्शनों के निर्माता ब्राह्मण थे ?

महायान(नार्गाजुन, अश्वघोष)
थेरबाड (बुद्धघोष) 
वज्रयान(पद्मसंभव) 
तिब्बत बौद्ध(पद्मसंभव )
चीना बौद्ध(कुमारजीव )
जेन बौद्ध(बुद्धिधर्मा)
कुंग फु(कुमारजीव)
वे ऑफ बुद्धिस्त्व(शांतिदेव) 
बुद्धचरित (अश्वघोष Asvaghosa ) 
हरिता धम्मसुत्रा (हरित)
शून्यता अवधारणा (नार्गाजुन)
सेकेँड बुद्धा (बसुबंधु)
यमनतका तंत्र (कनका)
वज्रयान-दवान्ताऊ-विकास्ना (ज्नानश्रीमित्रा )

यह सभी ब्राह्मण ही थे ,  और बौद्ध दर्शन के उत्थान में जितना इनका योगदान है उतना किसी का नही , अगर कहे की बौद्ध धर्म का अवधारणा इनका ही था तो यह अतिश्योक्ति नही होगी। क्योंकि अगर इन ब्राह्मणों और इनके योगदान को बौद्ध दर्शन से अलग करते है तो इस दर्शन में कुछ भी नही बचता क्योंकि  तब न बुद्ध समझ में आयेंगे न उनका दर्शन। 
आज वर्तमान में तरह-तरह के जीव बुद्ध के पीठ पीछे पैदा हो रहे है कोई मूलनिवासी है तो कोई नास्तिक है।  कोई सामाजिक ठेकेदार तो कोई धर्मका ठेकेदार , 
बुद्ध के नाम पर राजनैतिक लाभ ,
और यह सब आपस में ही बुद्ध के पीठ पीछे एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप की राजनीती कर रहे है , जबकि बुद्ध तो आध्यात्म से निर्वाण का नाम है। बुद्ध ने राजनीती का त्याग कर दिया व्यक्तिगत सुखों का त्याग कर दिया । किन्तु विडम्बना देखिये उसी बुद्ध के नाम पर क्या क्या खेल खेला जा रहा है ,
आज के वर्तमान बौद्ध दर्शन में आप को बुद्ध कही नही दिखने वाले ,, आप को सिर्फ उल मूल फिजूल निवासी और इनके सड़ियल दकियानूसी थेथरोलॉजी के बड़े-बड़े गप्प ही मिलेंगे , जो बुद्ध और उनके सिंद्धान्तो आदर्शों के बिलकुल विपरीत है ।   
बुद्ध को जानना है समझाना है तो सनातन मंतव्य में ही समझा जा सकता है बुद्ध को उनके धर्म में जा कर समझिये क्यों की बुद्ध को ब्राह्मण कृत बौद्ध धर्म में ढूढेंगे तो ऐसी ही विकृति मिलेगी लेकिन बुद्ध नही मिलेंगे। 

क्या वर्तमान में बौद्ध धर्म  ब्राह्मण धर्म है?

क्योंकि वर्तमान बौद्ध धर्म  ही असल ब्राह्मण धर्म है। , जिसके संस्थापक ब्राह्मण थे ,न की बुद्ध ,,क्योंकि  बुद्ध ने स्वयं को आर्य कहा है सनातनी कहा है।। 

कही पर नही कहा की मैं कोई बौद्ध धर्म या नया धर्म बना रहा हूँ अतः जब स्वयं बुद्ध का धर्म सनातन है तो हमारा कोई अलग धर्म कैसे हो सकता है। 
यह शत -प्रतिशत प्रमाणित तथ्य है कि बौद्ध धर्म ही ब्राह्मणी धर्म है ,  
जबकी सनातन धर्म में किसी वाद की परिकल्पना नही , सनातन धर्म वसुधैव कुटुम्बकम् की बात करता है। इस धर्म में सभी महापुरुषों को मानने और अनुशीलन करने की स्वतंत्रता है। यही सच्चा धर्म है। इसे अपनाना नही पड़ता , क्यों की हर एक मनुष्य सनातनी ही पैदा होता है। विभिन मत होने के बावजूद सभी का मंतव्य और गंतव्य एक ही है। अध्यात्म और मन की शांति, जातियों में भेद होने के बावजूद सभी लोगों के कुलदेवी,देवता ,गुरु पंथ आदि  है, 

Post a Comment

1 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.