मैंने बार-बार घोषित किया है कि यदि मैं आर्य कहता हूं, तो मेरा मतलब न तो रक्त है और न हड्डी, न बाल और न ही खोपड़ी; मेरा मतलब केवल उन लोगों से है जो आर्य भाषा बोलते हैं।-FRIEDRICH MAX MÜLLER

मैक्समूलर एक ऐसा नाम है जिसे ब्रिटिश शासनकाल में ब्रिटिश राजनीतिज्ञोंप्रशासकों और कूटनीतिज्ञों ने एक सदी 1846-1847 तक लगातार हिन्दुओं का एक अभिन्न मित्र और वेदों के महान विद्वान के रूप में प्रस्तुत किया। 19 सदी के हिन्दूमेक्समूलर और उसके मेक्समूलरवाद को पहचानने और समझने में पूरी तरह विफल रहे है

 

यह तो हमेशा से होता रहा है . लेकिन अंग्रेजी हूकूमत में इसकी शुरुआत अधिक प्रबलता से हुई थी। जो आजतक अनावरत चल रही है. सबका अपना-अपना उद्देश्य है सनातन धर्म समाज और ग्रंथों को प्रदूषित एवं खंडित करने में. कोई अपने मत को श्रेष्ठ दिखाने के उद्देश्य से तो कोई धन की इच्छा के उद्देश्य से.

 

इस कार्य में लगा हुआ है. शायद इस कार्य में अन्य की अपेक्षा जर्मन लेखक मैक्स मूलर का ज्यादा रोल रहा है. यह कहने के पीछे हमारा उद्देश्य मैक्स मूलर द्वारा लिखित कुछ पुस्तकों का संदर्भ हैं. जिन्होंने भारत और भारतीय धर्म तथा आर्य-अनार्य एवं ग्रंथों को लेकर क्या कहा हैउससे आपको अवगत करवाना है।जैसा कि सबको पता है मैक्स मूलर ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी थे अंग्रेजों की तरफ से ईसाइयत के प्रचार के लिए साम-दाम-दंड-भेद सभी तरीके के रास्ते अपनाएं जिसके कुछ प्रमाण आपको इस आर्टिकल में दिए जाएंगे. मैक्स मूलर ने भारत में ईसाई करण के लिए क्या किए थेउसके कुछ संदर्भ उनके ही आख्यानों से जैसे कि मैक्समूलर ने वेदों के संदर्भ में क्या कहा है?

क्या मैक्समूलर द्वारा वेद के अनुवाद में त्रुटि थी ?Was there an error in the translation of the Vedas by Max Müller?


मैक्समूलर का मानना था की वेदों को विकृत करने के पहले भारतीय समाज को खंडित नहीं कर सकते है। 

मैक्समूलर THE QUEST FOR THE ORIGIN OF VEDIC CULTURE The Indo-Aryan Migration Debate , Pg. 289 में कहते है.

 

 

 

 


This edition of mine ... the Veda ... will hereafter tell to a great extent on the fate of India . it is the root of their religion , and to show them what that root is , is the only way of uprooting all that has sprung up from it during the last 3000 years . ”

मेरा यह संस्करण... वेद... आगे चलकर भारत के भाग्य के बारे में बहुत कुछ बताएगा। यह उनके धर्म की जड़ हैऔर उन्हें यह दिखाना कि वह जड़ क्या हैपिछले 3000 वर्षों के दौरान उसमें से जो कुछ भी निकला हैउसे जड़ से उखाड़ने का एकमात्र तरीका है।





आगे मैक्समुलर जी ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को लेकर क्या -क्या किया ? इसको आप स्वयं मैक्समूलर जी की पुस्तक

  THE LIFE AND THE LETTERS of the Right Honourable FRIEDRICH MAX MÜLLER , Pg. 357

TO THE DUKE OF ARGYLL.
OXFORD DECEMBER 16.
  में पढ़ सकते हैं मैक्समूलर कहते हैं।

 





India has been conquered once , but India must be conquered again , and that second conquest should be a conquest by education . Much has been done for education of late , but if the funds were tripled and quadrupled , that would hardly be enough . ”

भारत को एक बार जीत लिया गया हैलेकिन भारत को फिर से जीतना होगाऔर वह दूसरी विजय शिक्षा द्वारा विजय होनी चाहिए। पिछले कुछ समय में शिक्षा के लिए बहुत कुछ किया गया हैलेकिन यदि धन को तीन गुना और चौगुना कर दिया जाएतो यह शायद ही पर्याप्त होगा।

क्या मैक्समुलर ईसाई मत के प्रचारक थे ? Was Maxmüller a preacher of Christianity?

भारतीय धर्म को नष्ट करने और ईसाइयत को फ़ैलाने के लिए मैक्समूलर ने बहुत ही शार्थक प्रयास किया और शायद वह सफल भी रहे लेकिन वह शायद ईसाई मत को फिर भी ना फैलने को लेकर दोषारोपण भी करते रहे तभी तो उन्होंने ने ईसाईयत को फ़ैलाने के उद्देश्य से अपनी पुस्तक

THE LIFE AND THE LETTERS of the right Honourable FRIEDRICH MAX MÜLLER , Pg. 358 में कहते हैं.

 




“The Christianity of our nineteenth century will hardly be the Christianity of India . But the ancient religion of India is doomed - and if Christianity does not step in , whose fault will it be ? ”

“ हमारी उन्नीसवीं सदी की ईसाइयत शायद ही भारत की ईसाइयत होगी। लेकिन भारत का प्राचीन धर्म बर्बाद हो गया है - और अगर ईसाई धर्म नहीं आता हैतो यह किसका दोष होगा ? ”

क्या मैक्समूलर वेदों के कालखंड के निर्धारण करने में असमर्थ थे ?Was Maxmuller unable to determine the period of the Vedas?






वर्तमान में वेदों की श्रृंखला जो हम पढ़ते हैं उसके भावार्थ को भी अपने अनुरूप  करने में मैक्समूलर का सर्वाधिक योगदान था.भारत के बाहर वेदों को मैक्समूलर की दृष्टि से ही जाना  गया. लेकिन मैक्समूलर ने यहां वेदों के काल निर्धारण करना कठिन माना है । इसकी चर्चा मैक्समूलर ने Physical Religion Pg.-91 में किया है उनका मानना था कि..
 

 

 




The Three Litrature Period of the Vedic Age

“ We also saw that the Sûtras presupposed the existence of the Brâhmana literature , and that the Brâhmana literature presupposed the existence of the hymns as collected in the Rig - veda - samhitâ . If now we ask how we can fix the date of these three periods , it is quite clear that we cannot hope to fix a terminus a quo . Whether the Vedic hymns were composed 1000 , or 1500 , or 2000 , or 3000 years B. C. , no power on earth will ever determine . ”

 

हमने यह भी देखा कि सूत्रों ने ब्राह्मण साहित्य के अस्तित्व की कल्पना की थीऔर ब्राह्मण साहित्य ने ऋग्वेद-संहिता में संग्रहित भजनों के अस्तित्व की कल्पना की थी। अगर अब हम पूछें कि हम इन तीन अवधियों की तारीख कैसे तय कर सकते हैंतो यह बिल्कुल स्पष्ट है कि हम एक टर्मिनस को ठीक करने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। चाहे वैदिक मंत्र 1000, या 1500, या 2000, या 3000 साल ईसा पूर्व रचे गए थेपृथ्वी पर कोई शक्ति कभी भी निर्धारित नहीं करेगी।


मैक्समूलर ने आर्य आक्रमण थ्योरी देकर मुकर क्यों गए ?Why did Max Müller turn away from Aryan Invasion Theory?


भारतीय समाज में आर्य -अनार्य थ्योरी देने के उपरांत मैक्समूलर ने ही 1200 BC में भारत पर आर्य आक्रमण की थ्योरी से खुद को अलग रकर लिया और उन्होंने अपने सिद्धांत का बचाओ किया था. जब कई समकालीन लेखकों ने उनकी आलोचना किया तो,  जिसका उल्लेख THE INDO-ARYAN CONTROVERSY Evidence and Inference in Indian history , Pg. 51 पर हुआ है।
 

 

 

 




ARYAN INVASION OF INDIA 1200 BC was arrived at . When criticized by a host of his contemporaries , such as Goldstucker , Whitney and Wilson , Max Müller raised his hands up by stating in his preface to the text of the Rigveda :
“ I have repeatedly dwelt on the merely hypothetical character of the dates , which I have ventured to assign to first periods of Vedic literature . All I have claimed for them has been that they are minimum dates , and that the literary productions of each period which either still exist or which formerly existed could hardly be accounted for within shorter limits of time than those suggested . ”
( Max Müller 1890 , reprint 1979 )

आर्य आक्रमण 1200 ईसा पूर्व में हुआ था। जब गोल्डस्टकरव्हिटनी और विल्सन जैसे उनके कई समकालीनों द्वारा आलोचना की गईतो मैक्स मुलर ने ऋग्वेद के पाठ की अपनी प्रस्तावना में यह कहते हुए अपना हाथ ऊपर उठाया:
मैंने बार-बार तारीखों के केवल काल्पनिक चरित्र पर ध्यान केंद्रित किया हैजिसे मैंने वैदिक साहित्य के पहले काल को सौंपने का उपक्रम किया है। मैंने उनके लिए केवल यह दावा किया है कि वे न्यूनतम तिथियां हैंऔर यह कि प्रत्येक काल की साहित्यिक रचनाएं जो या तो अभी भी मौजूद हैं या जो पहले मौजूद थींउन्हें सुझाए गए समय की तुलना में कम समय के भीतर शायद ही गिना जा सके।
मैक्स मूलर 1890 , पुनर्मुद्रण 1979 )

मैक्समूलर की आर्य बोन आधारित थ्योरीआर्य कोई नस्ल नहीं है आर्य का मतलब जो आर्यभाषा बोलते है?Maxmuller's Aryan Bone Based Theory, Aryan is not a race Aryan means who speak Aryan language?


आर्य-अनार्य की नश्ल आधारित थ्योरी को बल देने के बाद मैक्समूलर ने अंत में इस सिध्दांत पर भी स्वयं का बचाव करते हुए आर्य को भाषई आधारित माना था।  और BIOGRAPHIES OF THE WORLDS AND THE HOME OF THE ARYAS , F. MAX MÜLLER , Pg. 120 में कहते हैं कि.
 




“ I have declared again and again that if I say Aryas , I mean neither blood nor bones , nor hair nor skull ; I mean simply those who speak an Aryan language. ”
मैंने बार-बार घोषित किया है कि यदि मैं आर्य कहता हूंतो मेरा मतलब न तो रक्त है और न हड्डीन बाल और न ही खोपड़ीमेरा मतलब केवल उन लोगों से है जो आर्य भाषा बोलते हैं।
भारत में हिन्दू संस्कृति और ग्रंथों से हीन भावना रखने वाले बुद्धिजीवी लोग ऐसे ही मैक्समूलर जैसे बिदेशी लेखकों एवं इतिहासकारों का  महिमा मंडन किया करते थे .जो खुद अपने सिद्धांतों पर तटस्थ ना रहा हो.शिक्षा के उद्देश्य के अतिरिक्त अन्य अनैतिक कार्यों में लगा रहा हो. भारतीय समाज भी ऐसे लोगों को अपना आदर्श मन जाता है। 


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