मनुष्य उत्पत्ति का सिद्धांत हर धर्म में अलग-अलग है तीन बड़े धर्मों
में हिन्दू सिध्दांत वैमनस्य मनु-सतरूपा से मानता है।
ईसाई
एडम-ईव सिध्दांत और इस्लाम में आदम-हौवा आदि वैज्ञानिक का अलग ही सिध्दांत है वह
चार्ल्स डार्विन के विकासवाद में कपि और मानव को एक दूसरे का पूरक बताया है इस
सिध्दांत पर बहुत से लोगों की आपत्तियां है लेकिन अभी तक का यही सिध्दांत मुख्य
धारा में शामिल हैं। लेकिन हम यहां बौद्ध सिध्दांत की समीक्षा कर रहे है।
विभिन्न धर्मों में मनुष्य उत्पत्ति का सिद्धांत क्या है?
अब
जैसा कि सबको पता ही है कि तमाम धर्मों मे मनुष्यों की धरती पर उत्पत्ति को लेकर
अपने-अपने दावे और सिध्दांत हैं, इसी में बौद्धधर्म का भी अपना एक अलग मत अर्थात सिध्दांत है।
बौद्ध ग्रंथों में मनुष्य उत्पत्ति के क्या सिध्दांत हैं?
पाली
भाषा के बौद्ध ग्रंथ त्रिपिटक (सुत्तपिटक) के दीघनिकाय के तीसरे अध्याय
"पाथिकवग्ग" के चौथे सुत्त "अग्गञ्ञ" मे गौतम बुद्ध वशिष्ट को
यह बताते हुए कहते हैं.
बौद्ध दर्शन के अनुसार धरती पर मनुष्योत्पत्ति कैसे हुई?
जब
धरती पर प्रलयकाल समाप्त हो गया, तब मनुष्य देवलोक से पृथ्वी पर आये।
अब
यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि दूसरे धर्मों की तरह बुद्ध भी कह रहे हैं कि
मानव धरती के निवासी नही हैं, वे दूसरे स्थान (अर्थात ग्रह) से धरती पर आये।
पुराण,क़ुरान,बाईबील में जलप्रलय का सिद्धांत क्या है?
सबसे
महत्वपूर्ण बात यह है कि बुद्ध का भी मनना है की पुराण, कुरान और बाइबल की तरह धरती
पर जलप्रलय हुआ था।
सत्व प्राणी कौन थे जिनका अस्तित्व मात्र था?
गौतम
बुद्ध के अनुसार शुरू मे जब प्राणी पृथ्वी पर आये तो वे केवल सत्व (प्राणी या
अस्तित्व) मात्र थे. उनमे न कोई स्त्री थी और न ही कोई पुरुष था। अर्थात बुद्ध के
अनुसार प्राणी बिना लिंग-निर्धारण के ही धरती पर उत्पन्न हुए थे। जबकि दूसरे
धर्मों के धर्मग्रंथ जैसे कि कुरान, पुराण या बाइबल के अनुसार आदम-हौव्वा, मनु-शतरूपा और एडम-ईव जोड़े (स्त्री-पुरुष स्वरूप) मे धरती पर आये थे।
पृथ्वी पर ऐसा कौन सा धान अर्थात चावल उत्पन्न हुआ?
बुद्ध
के अनुसार कालान्तर मे धरती पर एक ऐसा धान/चावल उत्पन्न हुआ, जिसे शाम को लाओ तो सुबह, और सुबह लाओ तो शाम को बढ़कर और पककर खाने योग्य हो जाता था।
चावल
खाने से किसको लिंग एवं योनि की उत्पत्ति हुई?
फिर
प्राणियों/मनुष्यों ने उस धान (चावल) को खाना प्रारम्भ कर दिया, और उस चावल को खाने से
प्राणियों मे लिंग उत्पन्न होने लगा। जिस सत्व 'प्राणी' को "योनि" उत्पन्न हुई, उसे स्त्री
और जिसे "शिश्न" प्रकट हुआ उसे पुरुष की मान्यता मिली।
योनि
एवं लिंक उत्पन्न कैसे हुआ?
योनि
और लिंग के प्रकट होने के बाद स्त्री और पुरुष के बीच संबंध होने लगा, और वे दोनो बिना असहज हुए
भोग अर्थात रतिक्रीड़ा करने लगे। फिर जब दूसरे तमाम लोगों ने उन्हे निंदा करना
शुरू किया तो उन्होने छुपकर-छुपकर रतिक्रीड़ा करने के लिये घर का निर्माण शुरू कर
दिया।
क्या सत्व प्राणी जब उत्पन्न हुए तो चतुर्थ दिशाओं में अंधेरा था?
गौतम
बुद्ध ने यह भी कहा है कि जब सत्व (प्राणी) धरती पर आये तो यहाँ चारों दिशाओं में
अंधेरा ही अंधेरा था, और
सूर्य, चन्द्र या तारों का अस्तित्व नहीं था बहुत
कालखण्ड व्यतीत हो जाने के बाद सत्वों 'प्राणियों' ने सूर्य और चाँद को देखा।
क्या ब्रह्माण्ड मे सूर्य का निर्माण पृथ्वी के बाद हुआ?
बुद्ध
के अनुसार सत्वों ने सूर्य और चांद को बाद में देखा जबकि विज्ञान तो यह कहता है कि
सूर्य से ही पृथ्वी समेत तमाम ग्रहों का निर्माण हुआ।
मनुष्य उत्पत्ति में बुद्ध का उपर्युक्त सिध्दांत बिज्ञान के अनुरूप
है?
गौतम
बुद्ध का यह सिध्दांत तर्क की कसौटी पर खरा नहीं उतर रहा है आखिर चावल खाने से
शरीर मे योनि और लिंग का प्रादुर्भाव कैसे हो सकता है? यदि इसे सच मान लें तो बुद्ध
के इस सिध्दांत के अनुरूप तो आज भी उस चावल को खाये तो शरीर मे अतिरिक्त लिंग/योनि
आदि का प्रादुर्भाव होना चाहिए.अन्यथा भगवान बुद्ध के इस सिध्दांत को कोरी कल्पना
या अवैज्ञानिकता की श्रेणी में रखना चाहिए.
रतिक्रिया करने के लिए घर का निर्माण जानवरों ने कभी नही किया आज तक और प्रारंभिक दौर में जब मनुष्य को ये ज्ञान नहीं था के रतिक्रिया कब और कैसे करनी चाहिए तब उनके पास घर बनाने की तकनीक कैसे आ गई?
ReplyDeleteघर या आश्रय का निर्माण खराब मौसम से बचने के लिए मस्तिष्क में विचार आने के बाद गुफाओं में रहने और बाद में घर बनाने की तकनीक तक पहुंचा जा सकता है।