मथुरा के मोरा से प्राप्त ब्राह्मी अभिलेख में कृष्ण/वृष्णियों से संबंधित पंचवीर कौन थे?Who were the Panchaveeras related to Krishna/Vrishnis in the Brahmi inscription from Mora of Mathura?

 

उत्तर प्रदेश के मथुरा से गोवर्धन पर्वत की तरफ जाने वाली सड़क से दो मीटर की उत्तर की ओर स्थित मोरा नामक एक स्थान है। 

जहां से एक पाषाण अभिलेख प्राप्त हुआ था. जो एक पत्थर के खंड पर लिखा हुआ था.

                                                                       


                                                                          चित्र -

राजबुल पुत्र मोरा अभिलेख की भाषा क्या है ।


राजपुत्र मोरा अभिलेख की भाषा प्राकृत एवं संस्कृत से मिश्रित है....


राजबुल पुत्र मोरा अभिलेख की लिपि क्या है ?


इसकी अभिलेख की लिपि प्रथम शताब्दी ईस्वी के प्रारंभ की ब्राह्मी है


राजबुल पुत्र मोरा अभिलेख का काल क्या है?

 

यह अभिलेख शोडाष के काल में ही लिखा गया होगा प्रथम पंक्ति के अक्षर मिट गए हैं. प्रथम शताब्दी ईस्वी है।


मोरा के अभिलेख में कितनी पंक्तियां थीं?

इसमें 6 पंक्तियां थी जिसमें से चार पंक्तियां ही पूर्ण रूप से दिख रही थीबाकी अंत की दो पंक्तियां नष्ट हो चुकी थी. इसकी खोज 1882 में कनिंघम ने की थी.जिसे पुरातत्व सर्वे ऑफ़ इंडिया रिपोर्ट के २० वें खंड में प्रकाशित किया था .

 

                               


                                                                      चित्र -2

राजुबुल के पुत्र मोरा अभिलेख लिप्यांतर ..

1-महाक्षत्रपस राजबुलस पुत्रस स्वामि...
2-भगवतां बृष्णीनां पंचवीराणां प्रतिमा: शैल देव
3-यस्तोषा या: शैलं श्रीमदगृहमतुलमुदघसमधार....
4-आर्चा देशां शैलं पंच ज्वलत इव परम वपुषा....
5-.......
6-......


हिंदी रूपांतरण


महाछत्रप राजुबुल के पुत्र स्वामी बृष्णियों के पूज्य पंच्चवीरों की प्रतिमाएँ पाषाण निर्मित देवगृह अर्थात मंदिर में स्थापित की गई जो तोषा के अतुलनीय श्रीमद शैलगृह को "अतुल्य के आगे के शब्द अस्पष्ट है ''अर्थात मिट चुके है )
.
पंचवीराणां कौन थे ?


रावर्ट विलियम फोगल ने पंचवीरों की पहचान पांच पांडवों से किया था। जबकि लुडर्स ने इनकी पहचान जैन साहित्यों में उल्लेखित बलदेव,अक्रूर ,अनाधृस्टि ,सारण,बिदुरथ से किया था , लेकिन इस अभिलेख में उल्लेखित पंचवीरों का भगवत हिन्दू पंथ से सम्बंधित एवंं ज्यादा करीब पाया जाता है

क्योंकि वायु पुराण में इससे सम्बंधित एक श्लोक है।

 

वायु पुराण में क्या उल्लेख है?

 

वायु पुराण में इन पंचवीरा का उल्लेख इस प्रकार है।

संकर्षणों वासुदेवः प्रदुमनः साम्ब एव च।
अनिरूद्धच पञ्चैते वंश वीरा प्रकर्तिता।

वृष्णी लोग कौन थे ?

 

यह एक वैदिक भारतीय कुल हैजिनका संबंध यदु के वंशज वृष्णि से था. ययाति के पुत्र यदुऔर यदु के पुत्र सात्वत के वंश से वृष्णि थे। उनकी दो पत्नियाँ थी गांधारी और माद्री। माद्री से उन्हें एक पुत्र हुआ देवमीढ़ वसुदेवकृष्ण के पितादेवमीढ़ के पोते थे। वृष्णियों का महाभारत में श्रीकृष्ण के संबंध में वर्णन है-

यादवा: कुकुरा भोजा: सर्वे चान्धकवृष्णय:त्वय्यासक्ता: महाबाहो लोकालोकेश्वराश्च ये।

यहां पर श्रीकृष्ण/केशव को वृष्णि संघ प्रमुख भी कहा गया है, '

भेदाद् विनाश: संघानां संघमुख्योऽसि केशव'

इससे स्पस्ट होता है की मोरा का अभिलेख कृष्ण/वृष्णियों से सम्बंधित है 

टीप्पणी एवं सुझाव  .......

मोरा के अभिलेख के अंत की चौथी पंक्ति में दो शब्द आये है "आर्चा देेशांशैलं पंच" जिसका अर्थ पाषाण से निर्मित पांच प्रतिमाएं है और तीसरी पंक्ति में तोषा देवमंदिर का निर्माण करने वाली महिला का नाम लगता है.इस बिषय पर विस्तारपूर्वक से समझने के लिए सर्वतात का घोसुण्डी के हाथीवाला अभिलेख एवं बेसननगर के हेलियोडोरस अभिलेख को पढ़ना जरुरी है । 

 

 

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संदर्भ एवं ग्रंथ -कनिंघम द्वारा आरकेलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया रिपोर्ट खंड २०पृष्ठ ४९ ,फोगल कैटेलॉग ऑफ आरके लॉजिकल मथुरा म्यूजियम , पृष्ठ संख्या १८४ ,लुडर्स इ. आई। २४ पृष्ठ संख्या १४९

 

 


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